
दो घण्टे युद्ध और चलता तो भारत की सेना ने लाहौर तक कब्जा कर लिया होता !!
लेकिन तभी पाकिस्तान को लगा कि जिस रफ्तार से भारत की सेना आगे बढ़ रही है हमारा तो पूरा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा!
तभी पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा कि वो किसी तरह से युद्ध रुकवा दे !! अमेरिका जानता था कि शास्त्री जी इतनी जल्दी नहीं मानने वाले !! क्योंकि वो पहले भी दो-तीन बार भारत को धमका चुका था !!
कैसे धमका चुका था ??
अमेरिका से गेहूँ आता था भारत के लिए PL-48 स्कीम के अण्डर !! PL मतलब Public Law 48 ! जैसे भारतीय सविधान में धराएँ होती हैं ऐसे ही अमेरिका में PL होता है! तो बिलकुल लाल रङ्ग का सड़ा हुआ गेहूँ अमेरिका से भारत में आता था! और ये समझौता पण्डित नेहरू ने किया था !!
अमेरिका का सड़ा गेहूँ भी बन्द करवाया !!
जिस गेहूँ को अमेरिका में जानवर भी नहीं खाते थे उसे भारत के लोगों के लिए आयात करवाया जाता था! आपके घर में कोई बुजुर्ग हों तो आप उनसे पूँछ सकते हैं कि कितना घटिया गेहूँ होता था वो !!
तो अमेरिका ने भारत को धमकी दी कि युद्ध रोक दें अन्यथा हम भारत को गेहूँ देना बन्द कर देंगे ! तो शास्त्री जी ने कहा हाँ बन्द कर दो ! फिर कुछ दिन बाद अमेरिका का बयान आया कि अगर भारत को हमने गेहूँ देना बन्द कर दिया ! तो भारत के लोग भूखे मर जाएँगे !!
शास्त्री जी ने कहा हम बिना गेंहू के भूखे मारे जाएँ या बहुत अधिक खा के मरें ! तुम्हें क्या तकलीफ है? हमें भूखे मरना पसन्द होगा बशर्ते तुम्हारे देश का सड़ा हुआ गेहूँ खाके !! एक तो हम पैसे भी पूरे चुकाएँ ऊपर से सड़ा हुआ गेहूँ खायें ! नहीं चाहिए तुम्हारा गेहूँ !!
फिर शास्त्री जी ने दिल्ली में रामलीला मैदान में लाखों लोगों से निवेदन किया कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है ! ऐसे हालातों में देश को पैसे की बहुत जरूरत पड़ती है! सब लोग अपने फालतू खर्चे बन्द करें ! ताकि वह Domestic Savings देश के काम आए ! या आप सीधे सेना के लिए दान दें ! और हर व्यति सप्ताह में एक दिन सोमवार का व्रत जरूर रखें !!
तो शास्त्री जी के कहने पर देश के लाखों लोगों ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया ! हुआ ये कि हमारे देश में ही गेहूँ बढ़ने लगा ! और शास्त्री जी भी खुद सोमवार का व्रत रखा रखते थे !!
शास्त्री जी ने जो कुछ लोगों से कहा पहले उसका पालन खुद किया ! उनके घर में काम वाली बाई आती थी !! जो साफ सफाई और कपड़े धोती थी ! तो शास्त्री जी ने उसको भी हटा दिया और बोला ! देशहित के लिए मैं इतना खर्चा नहीं कर सकता ! मैं खुद ही घर की सारी सफाई करूँगा ! क्योंकि पत्नी ललिता देवी बीमार रहा करती थीं ! शास्त्री जी अपने कपड़े भी खुद धोते थे ! उनके पास सिर्फ दो जोड़ी धोती कुर्ते ही थे !!
उनके घर में एक ट्यूटर भी आया करता था जो उनके बच्चों को अँग्रेजी पढ़ाया करता था शास्त्री जी ने उसे भी हटा दिया ! तो उसने शास्त्री जी से कहा कि आपका बच्चा अँग्रेजी में फेल हो जाएगा ! तब शास्त्री जी ने उससे कहा होने दो फेल ! देश के हजारों बच्चे अँग्रेजी में ही फेल होते हैं तो इसे भी होने दो ! अगर अँग्रेज़ हिन्दी में फेल हो सकते हैं तो भारतीय अँग्रेजी में फेल हो सकते हैं ! ये तो स्वाभाविक है क्योंकि अपनी भाषा ही नहीं है ये !!
एक दिन शास्त्री जी की पत्नी ने कहा कि आपकी धोती फट गई है ! आप नई धोती ले आइए ! शास्त्री जी ने कहा बेहतर होगा कि सुई धागा लेकर तुम इसको सिल दो ! मैं नई धोती लाने की कल्पना भी नहीं कर सकता ! मैंने सब कुछ छोड़ दिया है पगार लेना भी बन्द कर दिया है !! आज से ही जितना हो सके कम से कम खर्चे में घर का खर्च चलाओ !!
अन्त में जब युद्ध रोकने और समझौते के लिए पाकिस्तान की तरफ से प्रस्ताव आया और रूस में यह बैठक तय हुई तो शास्त्री जी युद्ध के बाद समझौता करने ताशकन्द गए ! और फिर जिन्दा कभी वापिस नहीं लौट पाये !! पूरे देश को बताया गया की उनकी मृत्यु हो गई ! जब कि उनकी हत्या की गई थी।
माँ भारती के सपूत शास्त्री जी ऐसे प्रधानमन्त्री हुए जिन्होंने 1965 में अपनी फीएट कार खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से पाँच हजार रुपए का ऋण लिया था। स्कूल के वक्त शास्त्री जी के बच्चे ताँगे से स्कूल जाते थे और प्रधानमन्त्री बनने के बाद कार खरीदने की इच्छा जताई तो उस वक्त 12 हजार रुपए में कार आई। मगर शास्त्रीजी के पास केवल सात हजार रुपए थे तो उन्होंने बैंक से पाँच हजार रुपए का ऋण लेकर कार खरीदी थी। मगर ऋण की एक किश्त भी नहीं चुका पाए। 1966 में देहान्त हो जाने पर बैंक ने नोटिस भेजा तो उनकी पत्नी ने अपनी पेन्शन के पैसे से कार के लिए लिया गया ऋण चुकाने का वायदा किया और फिर धीरे-धीरे बैंक के पैसे अदा किए। हम बात कर रहे हैं प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री जी की। उनकी धर्मपत्नी ललिता शास्त्री ने भी उनकी ईमानदारी पूर्वक जी गई जिन्दगी में उनका पूरा साथ दिया। शास्त्री जी की यह कार आज भी जनपथ स्थित उनकी कोठी [अब संग्रहालय] में आज भी मौजूद है। अब इस कोठी में लालबहादुर शास्त्री संग्रहालय बना दिया गया है।
शास्त्री जी के बेटे अनिल शास्त्री ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, मैंने जब अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया तो उसे प्रधानमन्त्री आवास पर पहुँचा दिया गया। इस पर शास्त्री जी ने आरटीओ को बुलाया और फटकारते हुए कहा कि बिना ड्राइविंग टेस्ट और सत्यापन के किस आधार पर लाइसेन्स बना दिया गया। और तब मेरा ड्राइविंग टेस्ट लेकर फिर मुझे ड्राइविंग लाइसेन्स दिया गया।
भारत में शास्त्री जी जैसा सिर्फ एक मात्र प्रधानमन्त्री हुआ ! जिसने अपना पूरा जीवन आम आदमी की तरह व्यतीत किया ! और पूरी ईमानदारी से देश के लिए अपना फर्ज अदा किया !!
जिसने जय जवान और जय किसान का नारा दिया !!
क्योंकि उनका मानना था कि देश के लिए अनाज पैदा करने वाला किसान और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाला जवान दोनों ही देश ले लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं !!
स्वदेशी की राह पर उन्होंने देश को आगे बढ़ाया ! जब तक वे प्रधानमन्त्री रहे एक भी विदेशी कम्पनी को देश में घुसने नहीं दिया ! उनका कहना था एक ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कारण भारत को 250 साल की गुलामी झेलनी पड़ी थी ! जिसके लिए कितने क्रान्तिकारियों ने फाँसी खाई ! दुबारा विदेशी कम्पनियों को बुलाकर देश की आजादी के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता !
ऐसा प्रधानमन्त्री भारत को शायद ही कभी मिले ! अन्त में जब उनकी Paas Book चेक की गई तो सिर्फ 365 रुपए 35 पैसे थे उनके बैंक एकाउण्ट में !!
शायद आज कल्पना भी नहीं कर सकते कि ऐसा जननेता भी भारत में हुआ था !!
अजीत मिश्रा